जीडीपी की दर को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर बरसा,कई नेताओं ने उठाए सवाल






अर्थव्यवस्था में सुस्ती की समस्या से जूझ रही केंद्र सरकार को आर्थिक विकास दर के मोर्चे पर भी झटका लगा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है। वही अब विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। देश का विकास इस समय वक्त की मंजधार में खो गया है। अर्थव्यवस्था की गाड़ी बेपटरी हो चुकी है।


विकास इस समय आईसीयू में पड़ा है। क्योंकि अर्थव्यवस्था में सुस्ती की समस्या से जूझ रही केंद्र सरकार को आर्थिक विकास दर के मोर्चे पर भी झटका लगा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है। मोदी सरकार की किसी एक तिमाही में सबसे सुस्त रफ्तार है।


                                       


अर्थव्यवस्था की गाड़ी पंचर होते ही केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा घिर चुकी है। एक तरफ जहां उसे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जूझना पड़ रहा है वहीं सहयोगी और विपक्षी दलों के नेता भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कांग्रेस के साथ ही बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है।


वही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करके मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है। प्रियंका ने कहा कि "GDP विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली बीजेपी सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है। न GDP ग्रोथ है न रुपये की मजबूती। रोजगार गायब हैं। अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?"


केंद्र सरकार ने अगले 5 सालों में देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने की योजना बनाई है। लेकिन आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 की पहली तिमाही में घटकर सिर्फ पांच प्रतिशत रह गई है। मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन और कृषि सेक्टर के आंकड़े काफी परेशान करने वाले हैं। बहरहाल सरकार ने आर्थिक सुस्ती दूर करने और देश में विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की।


सरकार को उम्मीद है कि उसकी इस पहल से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी और देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर लगातार चिंता जताई जा रही है और अब जब जीडीपी गिर रही है तो जाहिर है इससे रोजगार पर भी असर पड़ेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी। पिछले कई दशकों से बेरोजगारी अपने चरम पर है। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द सख्त कदम उठाने होंगे ताकि अर्थव्यवस्था की गाड़ी सरपट दौड़ सके।